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क्यों नई मांओं को अपने शिशु के साथ योग का अभ्यास करना चाहिए

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यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि एक मां के लिए उसकी गर्भावस्था से लेकर प्रसव के बाद तक की अवधि में योग का अभ्यास करना बहुत ही लाभकारी होता है। यह आपको खुश और स्वस्थ रखता है। लेकिन अगली बार जब आप अपनी योग करने वाली चटाई बिछाएं तो सुनिश्चित करें कि आपका शिशु भी वहां आपके साथ हो! अपने शिशु के साथ योग का अभ्यास करना, उसके साथ संबंध की शुरुआत करने का एक बड़ा ही अच्छा तरीका है। यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि नवजातों शिशुओं और बच्चों के विकास को बढ़ाने के लिए यह कितना बेहतरीन तरीका है।

शोध से पता चलता है कि अपने शिशु को योग के संपर्क में लाने से आपके हाथों उनके स्वस्थ और उज्जवल भविष्य की नींव पड़ती है। अपने शिशु के साथ योग करने के कुछ फायदे यहां बताए जा रहे हैं:

पाचन

इससे आपके शिशु का पाचन अच्छा होता है और यह कोलिक गैस भी कम करता है।

विकास

 हल्की गतिविधियां आपके शिशु में मोटर स्किल डेवलपमेंट और न्यूरोमस्क्युलर डेवलपमेंट को शुरु करती है और मन/देह के संबंध का भी भी विकास करती हैं।

व्यायाम की नैतिकता को बढ़ावा देता है

इससे ऐसी स्वस्थ्य आदतें डलवाई जा सकती हैं जो आपके बच्चे के साथ भविष्य तक बनी रहेंगी।

तनाव निवारक

इससे उस तनाव को कम करने में मदद मिलती है जो नई मांओं में प्रायः देखने को मिलता है और एक शांतिमय माहौल का सृजन होता है।

नींद

यह बच्चे और मां की नींद  में सुधार कर सकता है जिससे आपका परिवार ठीक से और पर्याप्त समय तक सो पाता है।

मां-बच्चे का जुड़ाव

अपने शिशु के साथ आपका जो जुड़ाव है उसे और भी प्रगाढ़ करने का यह बेहतर तरीका है।

आत्म गरिमा

आपके और आपके शिशु के लिए सकारात्मक शारीरिक छवि निर्मित करता है और आपको अपने शिशु की देखभाल करने में अधिक आत्मविश्वासी नाता है। शुरू करने से पहले, सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा सही मायने में इच्छुक हो - यदि वह चिड़चिड़ा, भूखा और उनींदा हो तो ऐसे में कभी भी उन्हें अपने साथ योग करने के लिए बाध्य न करें। ऐसे लक्षणों पर ध्यान दें जिनसे लगे कि वे इसका आनंद नहीं ले रहे हैं और ऐसा होने पर तुरंत बंद कर दें। जब वे इच्छुक हों और खुश हों, तो फिर से इसकी कोशिश करें।निम्न कुछ मुद्राएं/गतिविधियां हैं जिनका अभ्यास आप अपने शिशु के साथ कर सकती हैं!

शिशुओं के लिए:

सामान्य स्ट्रेच:अपने बच्चे को उसकी पीठ के बल लिटाएं और उसके पांव सीधे रखते हुए, सिर के ऊपर तक उनकी बाहें फैलाएं। बस एक दो सांसों तक इस अवस्था में रखें और फिर छोड़ दें।

घुटने से छातीबच्चे को पीठ के बल लिटाएं और धीरे-धीरे उसके एक घुटने को उसकी छाती तक लाएं। एक सांस तक इस अवस्था में रखें और फिर छोड़ दें, फिर दूसरे पांव के घुटने के साथ दोहराएं। आपका अपने बच्चे के साथ हंसने और बातें करने से उसे अच्छा लगेगा और आपके साथ उसका जुड़ाव मजबूत होगा। यदि आपके बच्चे को गैस मुक्त करने में सहायता की ज़रूरत हो तो आप दोनों पैरों से यह क्रिया एक साथ करवा सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि आपका बच्चा इसे करने के लिए इच्छुक है और उससे यह बड़े आराम से तथा धीरे-धीरे करवाएं!

पश्चिमोत्तासन (बैठे हुए आगे की ओर झुकना)

  • इस आसन को बहुत धीरे-धीरे करें, और अपने नीचे कंबल बिछाकर रखें, आपका शिशु आपके पैरों से फिसल सकता है।
  • पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर पीठ सीधी रख कर जमीन पर नितंब के बल बैठें।
  • अपने शिशु को उसकी पीठ के बल अपने पैरों पर पर इस तरह रखें कि उसका चेहरा आपकी ओर रहे। उनके आराम के लिए कंबल का इस्तेमाल करें।
  • सांस लें और अपनी पीठ झुकाते हुए और अंगूठे को छूने की कोशिश करते हुए अपने हाथों से शिशु तक पहुंचें। यदि आप ऐसा कर सकें तो कोई बात नहीं, बस एक अच्छा स्ट्रेच महसूस करने तक प्रयास करती रहें। सांस बाहर छोड़ें।
  • इस मुद्रा को 10 सेकेंड तक गहरी सांस लेते हुए बनाए रखें अथवा तब तक जब तक कि आपका शिशु इस स्थिति में आराम से रहे!
  • अपने शिशु की आंखों में देखना और उसके आमने-सामने रहना, अपनी बाहों से उस तक पहुंचते हुए हंसना और उसके साथ बातें करना, उनके साथ जुड़ने का बेहतर तरीका है।

अधो मुख श्वानासन (नीचे की ओर मुंह किए श्वान मुद्रा

  • घुटने सीधे कूल्हों के नीचे और हाथ कंधों के नीचे रखते हुए अपने हाथों और घुटनों के बल शरीर को टिकाएं।शिशु को उसकी पीठ के बल अपने पेट के नीचे के स्थान पर रखें।
  • अपने पेड़ू को ऊपर उठाते हुए और अपनी एड़ियां पीछे की ओर धकेलते हुए, फर्श छूने की कोशिश करते हुए, अपना घुटना पीछे की ओर उठाएं और फैलाएं। अपनी टांगों को सीधा रखने का प्रयास करें या एक के बाद दूसरा घुटना मोड़ें।
  • इस मुद्रा में रहते हुए अपने शिशु को देखें, मुस्कुराएं और हंसें। वापस अपने घुटनों पर आते हुए उसे एक छोटा सा चुंबन दें। यदि आपका शिशु शरीर के बल सरक सकता है तो वह आपके नीचे से ऐसा करना पसंद करेगा या फिर आपकी नकल करने की कोशिश भी कर सकता है!
  • गहरी सांस लेते हुए और धीरे-धीरे नीचे आते हुए, इसे 10-20 सेकेंड तक करें।

सेतु बंध (पुल जैसी मुद्रा): 

  • इस मुद्रा का अभ्यास आप अपने 6 माह के शिशु को करवा सकती हैं!
  • अपने शिशु को उसकी पीठ के बल लिटाएं और उसे अपना घुटना मोड़ने के लिए प्रेरित करें।
  • सेतु मुद्रा में लाने के लिए आप उसके नितंब को ऊपर की ओर उठाते हुए उसके शरीर को सहारा दे सकती हैं। उसे पुचकारते हुए, दुलारते हुए और तालियों के साथ प्रोत्साहित करें।
  • एक सांस तक रुकें और यदि बच्चा इसका आनंद लेता है तो इसे दोहराएं। ध्यान रहे, बच्चे को आसन में सटीकता लाने के लिए बाध्य न करें, जो महत्वपूर्ण है वह हैं, छोटी-छोटी शारीरिक गतिविधियां।
  • इस मुद्रा का अभ्यास उसके साथ अगल-बगल लेटकर करें ताकि वह आपकी नकल कर सके

शवासन (शव की मुद्रा)

  • आंखें बंद करके अपनी पीठ के बल लेट जाएं और हाथ और पांव सीधे खें। इसे अपने योग सत्र के अंत में करें क्योंकि इस मुद्रा में आपको पूरी तरह शिथिल होना होता है।
  • धीरे-धीरे सांस लें, शरीर में  कोई भी तनाव हो तो उसे निकाल दें
  • अपने शिशु को अपनी छाती पर इस तरह लिटाएं कि उसका सिर आपके दिल के ऊपर रहे।
  • सुनिश्चित करें कि कंधे की हड्डियां समानता से चटाई पर आराम से खी हों।

पने शिशु के साथ शांत वातावरण का आनंद लेते हुए, इस मुद्रा में आप जितनी देर रहना चाहें उतनी देर रहें। आपकी शान्त सांसें आपको और आपके शिशु को नींद की गोद में ले जा सकती हैं!

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