दूसरे ट्राइमेस्टर में, आपके एंटी-नेटल चेक-अप मासिक रूप से किए गए थे, पर अब सभी बदलावों और विकासों की बारीकी से निगरानी करने के लिए चेक-अप्स की बारंबारता बढ़ जाएगी।
इस हफ्ते आपके शरीर में होने वाले बदलाव
आपके शरीर में रक्त की मात्रा में लगभग 25% की वृद्धि हो जाती है और यह आपके गर्भ के 35वें हफ्ते के करीब काफी अधिक हो जाएगी
ब्रैक्सटन हिक्स संकुचन आपके गर्भाशय को कड़ा बनाने में मदद करते हैं और इस हफ्ते आपको इन संकुचनों का अनुभव नियमित अंतराल पर हो सकता है, ख़ासकर झुकने, सेक्स करने, बैठने के बाद खड़े होने या सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद आपको इनका अनुभव हो सकता है।
कब्ज़ से बचने के लिए फाइबर से भरपूर आहार लें, खूब सारा पानी पिएं और नियमित रूप से व्यायाम करें।
यदि आपको चक्कर आने जैसा लगता है या बेहोश होने जैसा अनुभव होता है, तो बैठ जाएँ और अपने सिर को अपने पैरों के बीच रखें और किसी को अपने पास बुलाएँ और यदि मदद के लिए आस-पास कोई न हो, तो सामान्य होने तक आप ज़मीन पर बैठी रहें। इस बात का भरोसा रखें कि ऐसी कई गर्भवती महिलाएँ हैं जिन्हें ऐसे ही अनुभव से गुज़रती हैं।
इस हफ्ते आपके शिशु में होने वाले बदलाव
- आपका शिशु अपने हाथ-पैर लंबे करता है पर ज्यादातर समय आपका शिशु अपने हाथों और पैरों को अपने निचले हिस्से में समेटे रखकर मुड़ा हुआ रहता है।
- आपका शिशु अब अपनी आंखें खोलने लगता है, जिसका अर्थ है कि अब उसकी पलकें आंखों से जुड़ी हुई नहीं रहती हैं।
- शिशु की गतिविधियां अब से लेकर गर्भ के 30 वें हफ्ते तक बढ़ती रहेंगी
- आपके शिशु की वृद्धि लंबाई में होती है और उसकी त्वचा के नीचे चर्बी की मात्रा भी बढ़ रही होती है।
- औसतन, जन्म के समय शिशु का वज़न लगभग 3.5 kilo होता है।
- आपने शायद गौर किया होगा कि आपके शिशु की गतिविधियों का एक खास पैटर्न है और वह नियमित अवधियों में सोता और हिलता-डुलता है।
आने वाले हफ्तों में, शिशु की आँखें झपकना, खुलना और बंद होना और वह अपने विज़न पर फोकस करना सीखेंगी।
शिशु का आकार और वज़न जेनेटिक्स और उसके व्यक्तिगत डीएनए पर निर्भर करता है।
आपको अपने शिशु की गतिविधियाँ एक अधिक-स्पष्ट रूप से अनुभव होंगी, क्योंकि आपका शिशु अब बड़ा हो चुका होता है और उसके लिए पर्याप्त जगह नहीं बचती है, क्योंकि ऐम्नियॉटिक द्रव का निर्माण उस मात्रा में नहीं हो रहा होता जितना कि कुछ हफ्ते पहले हो रहा था।
इस हफ्ते के सुझाव
इस बात का ध्यान रखें कि आप आयरन से भरपूर आहार लें, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान अनीमिया (खून की कमी) होना आम बात होती है।
इसलिए भले ही आयरन की हल्की कमी से आपके अंदर पल रहा शिशु प्रभावित नहीं होता, पर यदि इसका उपचार न किया जाए तो यह गंभीर हो सकता है, ख़ासकर दूसरे ट्राइमेस्टर में और जन्म के समय शिशु का वज़न कम रहने की संभावना बनी रहती है।